गुमान न कर अपने दिमाग पे मेरे दोस्त ,
जितना तेरा दिमाग हे उतना तो मेरा दिमाग खराब रेहता हे !!
न कहा करो हर बार की हम छोड़ देंगे तुमको,
न हम इतने आम हैं, न ये तेरे बस की बात है…!!
मेरी खामोसी को कमजोरी ना समझ
ऐ काफिर ,,
गुमनाम समन्दर ही खौफ लाता है ।
हमारी गोली जान नही लेती बोस,,
दुसरो के अन्दर जानवर जगा देती हे ।
क्या करे बुरी आदत हे हमारी ,,
नर्क के दरवाजे के सामने खड़े होकर पाप करते हे !!
आहिरों का बस यही अंदाज हे ,
जब आते हे तो गरमी अपने आप बढ़ जाती हे ।
कुत्ते भोंकते हे अपना वजूद बनाये रखने के लिये ,,
और लोगो की खामोशी हमारी मौजूदगी बया करती हे ।।
माना की तेरी एक आवाज से
भीड हो जाती हे ,,
…..लेकिन हम भी आहिर हे ,,
हमारी एक ललकार से पूरी भीड़
बिखर जाती हे ।।
तेवर तो हम वक्त आने पे दिखायेंगे ,,
शहेर तुम खरीदलो उस पर हुकुमत हम चलायेंगे…!!!
दोस्त को दौलत की निगाह से मत देखो ,
वफा करने वाले दोस्त अक्सर गरीब हुआ करते हैं….!!
रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते l
क्योकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते ,,
पर अमीर जरूर बना देते है …ll
बादशाह नहीं बाजीगर से पहचानते है लोग ,,
“……क्यूकी…….”
हम रानियो के सामने झुका नहीं करते….!!
में बंदूक और गिटार
दोनों चलाना जानता हूं ।
तय तुम्हे करना हे की
आप कौन सी धुन पर नाचोगे..।।
राज तो हमारा हर जगह पे है…।
पसंद करने वालों के “दिल” में ; और
नापसंद करने वालों के “दिमाग” में…।।
तेरे बिना में ये दुनिया छोड तो दूं ,
पर उसका दिल कैसे दुखा दुं ,
जो रोज दरवाजे पर खडी केहती हे ;
“बेटा घर जल्दी आ जाना “
कोई नही आऐगा मेरी जिदंगी मे
तुम्हारे सिवा,
एक मौत ही है जिसका मैं
वादा नही करता…….. ।।
रियासते तो आती जाती रहती हे,
मगर बादशाही करना तो..
आज भी लोग हमसे सीखते हे ।
खेल ताश का हो या जिंदगी का ,
अपना इक्का तब ही दिखाना
जब सामने बादशाह हो ।
तुम गरदन जुकाने की बात करते हो ,
हम वौ है जो आंख उठाने वालो
की गरदन प्रसाद मै बाट देते है..।।
शायरी का बादशाह हुं और कलम मेरी रानी,
अल्फाज़ मेरे गुलाम है, बाकी रब की महेरबानी ।
अकल कितनी भी तेज ह़ो
नसीब के बिना नही जित सकती ,
बिरबल काफी अकलमंद होने के बावजूद..
कभी बादशाह नही बन सका ।
सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें ,
इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना ।
जिंदगीमें बडी शिद्दत से निभाओ
अपना किरदार,
कि परदा गिरने के बाद भी तालीयाँ
बजती रहे….।।
शांखो से टूट जाये वो पत्ते नही हे हम ,
इन आंधीयों से केहदो जरा अपनी औकात में रहे ।
हम आज भी शतरंज़ का खेल
अकेले ही खेलते हे ,
क्युकी दोस्तों के खिलाफ चाल
चलना हमे आता नही ..।
जितना तेरा दिमाग हे उतना तो मेरा दिमाग खराब रेहता हे !!
न कहा करो हर बार की हम छोड़ देंगे तुमको,
न हम इतने आम हैं, न ये तेरे बस की बात है…!!
मेरी खामोसी को कमजोरी ना समझ
ऐ काफिर ,,
गुमनाम समन्दर ही खौफ लाता है ।
हमारी गोली जान नही लेती बोस,,
दुसरो के अन्दर जानवर जगा देती हे ।
क्या करे बुरी आदत हे हमारी ,,
नर्क के दरवाजे के सामने खड़े होकर पाप करते हे !!
आहिरों का बस यही अंदाज हे ,
जब आते हे तो गरमी अपने आप बढ़ जाती हे ।
कुत्ते भोंकते हे अपना वजूद बनाये रखने के लिये ,,
और लोगो की खामोशी हमारी मौजूदगी बया करती हे ।।
माना की तेरी एक आवाज से
भीड हो जाती हे ,,
…..लेकिन हम भी आहिर हे ,,
हमारी एक ललकार से पूरी भीड़
बिखर जाती हे ।।
तेवर तो हम वक्त आने पे दिखायेंगे ,,
शहेर तुम खरीदलो उस पर हुकुमत हम चलायेंगे…!!!
दोस्त को दौलत की निगाह से मत देखो ,
वफा करने वाले दोस्त अक्सर गरीब हुआ करते हैं….!!
रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते l
क्योकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते ,,
पर अमीर जरूर बना देते है …ll
बादशाह नहीं बाजीगर से पहचानते है लोग ,,
“……क्यूकी…….”
हम रानियो के सामने झुका नहीं करते….!!
में बंदूक और गिटार
दोनों चलाना जानता हूं ।
तय तुम्हे करना हे की
आप कौन सी धुन पर नाचोगे..।।
राज तो हमारा हर जगह पे है…।
पसंद करने वालों के “दिल” में ; और
नापसंद करने वालों के “दिमाग” में…।।
तेरे बिना में ये दुनिया छोड तो दूं ,
पर उसका दिल कैसे दुखा दुं ,
जो रोज दरवाजे पर खडी केहती हे ;
“बेटा घर जल्दी आ जाना “
कोई नही आऐगा मेरी जिदंगी मे
तुम्हारे सिवा,
एक मौत ही है जिसका मैं
वादा नही करता…….. ।।
रियासते तो आती जाती रहती हे,
मगर बादशाही करना तो..
आज भी लोग हमसे सीखते हे ।
खेल ताश का हो या जिंदगी का ,
अपना इक्का तब ही दिखाना
जब सामने बादशाह हो ।
तुम गरदन जुकाने की बात करते हो ,
हम वौ है जो आंख उठाने वालो
की गरदन प्रसाद मै बाट देते है..।।
शायरी का बादशाह हुं और कलम मेरी रानी,
अल्फाज़ मेरे गुलाम है, बाकी रब की महेरबानी ।
अकल कितनी भी तेज ह़ो
नसीब के बिना नही जित सकती ,
बिरबल काफी अकलमंद होने के बावजूद..
कभी बादशाह नही बन सका ।
सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें ,
इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना ।
जिंदगीमें बडी शिद्दत से निभाओ
अपना किरदार,
कि परदा गिरने के बाद भी तालीयाँ
बजती रहे….।।
शांखो से टूट जाये वो पत्ते नही हे हम ,
इन आंधीयों से केहदो जरा अपनी औकात में रहे ।
हम आज भी शतरंज़ का खेल
अकेले ही खेलते हे ,
क्युकी दोस्तों के खिलाफ चाल
चलना हमे आता नही ..।

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